आखिर ये कब तक आज बस दो शब्द। आखिर ये कब तक आज बस दो शब्द।
बस दस शब्द... बस दस शब्द...
जब धरती व्याकुल हो जाए जब नदियाँ तप कर खो जाए जब धरती व्याकुल हो जाए जब नदियाँ तप कर खो जाए
सह नहीं पाती, झूठ को छिपा नहीं पाती इसीलिए शायद दो शब्द लिख नहीं पाती। सह नहीं पाती, झूठ को छिपा नहीं पाती इसीलिए शायद दो शब्द लिख नहीं पाती।
अपना बच्चा जब गोद में बढ़ता माँ बाप है एक दुनिया गढ़ता! अपना बच्चा जब गोद में बढ़ता माँ बाप है एक दुनिया गढ़ता!
न देख कर देखता तब लगता है जिंदा है वो जिंदा है वो। न देख कर देखता तब लगता है जिंदा है वो जिंदा है वो।